बात से मन हल्‍का होता है

Wednesday, March 11, 2009

मुशर्रफ को पडे दो थप्‍पड

कोई आपके घर में आपके ही परिवार को तोडने का प्रयास करें तो आप क्‍या करेंगे। निश्चित रूप से आरती तो नहीं उतारेंगे, अति हुई तो थप्‍पड जरूर लगा देंगे। पिछले दिनों पाकिस्‍तान के पूर्व तानाशाह और स्‍वयं को राष्‍टपति बताने वाले परवेज मुशर्रफ इंडिया टूडे के कान्‍क्‍वलेव में आए। आए भी क्‍या इस बदमिजाज को बुलाया गया। खाली बैठे सेवानिवृत को कामकाज था नहीं, इसलिए भारत आ गए। यहां आकर इस शख्‍स अपना असली चेहरा दिखा दिया। यह भी बता दिया कि बन्‍दर बुढा होने पर भी गुलाटी खाना नहीं भूलता, कुत्‍ता बुढा होने पर भी भौंकना नहीं छोडता और मुशर्रफ कुछ भी नहीं होने के बाद भी पाकिस्‍तान से भारत रिश्‍ते खराब करने की फितरत नहीं छोडता। विशेषकर मुर्शरफ ने कहा कि भारत में रहने वाले मुसलमानों के साथ अच्‍छा व्‍यवहार नहीं होता, भारत के मुसलमान तकलीफ में है, भारत में इसी‍लिए मुस्लिम में कटटरपंथी बढ रहे हैं और आतंकवादी घटनाएं बढ रही है। यह तो शुक्र है कि वहां मदनी जैसे सांसद उपस्थित थे, जिन्‍होंने भारत को जीया है, जो सच्‍चे भारतीय है। मदनी ने उस खुर्राट, बदमिजाज तानाशाह को ऐसा जवाब दिया कि मुशर्रफ बगले झांकने लगे। मदनी ने साफ कहा कि आप भारत में रह रहे मुसलमानों की चिंता छोड दें, हम पाकिस्‍तान से अधिक है और अपनी हिफाजत करना चाहते हैं, मदनी ने बता दिया कि यह देश उनका है, किसी धर्म का नहीं। सही भी है भारत में हिन्‍दू मुसलमान एक है, अपनी समस्‍या अपने झगडे हैं, पाकिस्‍तान को इससे क्‍या लेना देना। दो भाई लडे या प्रेम करे, पडौसी क्‍या लेनदेन। फिर ऐसे पडौसी को तो चिंता करनी ही नहीं चाहिए, जिनके घर से फूटे बर्तन हर रोज सडकों पर आकर गिरते हो। बेहतर होगा मुशर्रफ को मदनी जी की सलाह मान लेनी चाहिए और अपने घर का ध्‍यान रखना चाहिए। पिछली कुछ घटनाओं के बाद तो लगने लगा है कि पाकिस्‍तान का नामोनिशान ही खत्‍म होने वाला है। जिस तरह के गह युद़ध के हालात वहां बने हैं उससे हम सीमावर्ती (पाकिस्‍तान से महज डेढ सौ किलोमीटर की दूरी पर) रहने वालों को डर लग रहा है कि टूटा तो हमारे यहां भी कोई शरणार्थी पहुंच जाएगा। मुशर्रफ को एक और थप्‍पड पडा था जब उन्‍होंने दाऊद इब्राहिम को देने पर भी भारत में शांति नहीं होने की बात कही। एक 'भारतीय' ने कहा आप तो दाऊद को सौंप दें, बाकि हम देख लेंगे।  वैसे मुशर्रफ के भारत में आकर इस तरह के मामले को मीडिया ने ज्‍यादा गंभीरता से नहीं लिया। शायद इसलिए कि वो अब इस तरह की शख्सियत ही नहीं है कि गंभीरता से लिया जाए या फिर शायद इसलिए कि किसी के भौंकने का समाचार अखबारों में नहीं छपता। मेरा मानना है कि ऐसे लोगों को हमारे देश में आने की अनुमति ही नहीं देनी चाहिए जो इस तरह की बयानबाजी करते हैं, भारत में क्‍या ऐसी कोई कानूनी धारा नहीं है जिसके तहत मुशर्रफ के खिलाफ अशांति फैलाने के प्रयास का मामला दर्ज हो सके। वैसे मदनी ने जो सजा दी वो समझदार को सुधारने के लिए काफी है। उम्‍मीद है मुशर्रफ दोबारा हमारे मामले में टांग नहीं अडाएंगे। हम साथ थे, साथ है और साथ रहेंगे।

9 comments:

समयचक्र said...

बहुत उम्दा विचारणीय सटीक पोस्ट. धन्यवाद.

anurag said...

अनुराग भाई , आप बिलकुल ठीक कह रहें हैं.पर इसके लिए मुशर्रफ की हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी,जो वो दिल्ली आ कर जो कहना चाहते थे कह गए. धन्य हैं इंडिया टुडे वाले भी जिन्होंने अपनी पब्लिसिटी के लिए उन्हें बुलाया. मुशर्रफ़ बेचारे हज़रत को तो वापस जा कर उन्हीं कठमुल्लों के बीच रहना है. यह भी हो सकता है कि भारत आने के पहले कायदा ने उन्हें लाइन ऑफ़ स्पीच बता दी हो. पर अगली बार जो भी मुशर्रफ जी को बुलाएगा उससे बड़ा काठ का उल्लू कोई नहीं होगा. मुश् कहतें हैं कि हमें इतिहास को भुलाना चाहिए , पर वो बताएं कि क्या पाकिस्तानी अपना इतिहास भुला सकतें हैं? आप तो राजस्थान में हैं ,( पाक के नज़दीक हैं ), मै यहाँ मध्य प्रदेश में बैठे - बैठे देख सकता हूँ कि वो दिन दूर नहीं जब हमें बंगलादेशी इन्फ्ल्क्स की तरह पाकिस्तानी इन्फ्ल्क्स भी झेलना पड़ेगा.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद said...

क्या यह ‘आ बैल मुझे मार’ वाली कहावत को सार्थक नहीं करता?

प्रवीण त्रिवेदी said...

विचारणीय पोस्ट!!!
धन्यवाद!!!!

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

मुशर्रफ के मुँह में कालिख नहीं पोती गयी तो कुछ नहीं हुआ। कमीना है वो, लेकिन काफी भाव मिल गया उसे।

RAJIV MAHESHWARI said...

अच्छा, सटीक लेख ....
अनुराग भाई की टिपण्णी भी बडी सटीक है.

Unknown said...

इंडिया टुडे से भी पूछताछ होनी चाहिये कि कारगिल के खलनायक को किस हैसियत से बुलाया गया?

रंजू भाटिया said...

वो शायद इसी थप्‍पड को खाने यहाँ आये थे ...रंग उड़ गया था उनके चेहरे का जब यह सब हो रहा था

Unknown said...

Nice forum.Keep it up.